आज के अंतरिक्ष यानों (Spacecraft) को सूदूर यात्राओं के लिए बहुत अधिक ईंधन की जरूरत होती है जो एक बड़ी चुनौती है क्योंकि इतना अधिक ईंधन पृथ्वी से ले जाना बहुत मुश्किल काम है. इस समस्या का एक समाधान विद्युत का उपयोग कर जीनॉन (Xenon) के कणों को आयनीकृत करना हो सकता है. क्योंकि आयनीकृत जीनॉन के परमाणु एक प्रक्षेप बल (Thrust) पैदा कर अंतरिक्ष यान को बहुत तेजी से आगे बढ़ा सकता है. लेकिन जीनॉन एक दुर्लभ और महंगी गैस है. थ्रस्टमी कंपनी ने कक्षा में घूम रहे सौटेलाइट को आयोडीन गैस से विद्युत प्रणोदय इंजन (Electric Propulsion Engine) के जरिए संचालित कर इस क्षेत्र में बहुत सी संभावनाएं जगा दी हैं.
जीनॉन गैस के साथ समस्याएं
इस तकनीक से वैज्ञानिकों को बहुत आशाएं थी, लेकिन जीनॉन गैस के साथ बहुत सी समस्याएं थीं. महंगी होने साथ ही इस दुर्लभ गैस का भंडारण भी एक बड़ी समस्या है, लेकिन थ्रस्टमी के आयोडीन गैस के साथ सफल प्रयोग ने आशा जगाई है कि अब सैटेलाइट प्रणोदन तंत्र अब पहले से ज्यादा कारगर और वहनीय हो जाएंगे.
आयोजीन जीनॉन से बेहतर
ट्रस्टमी के सह संस्थापक और कंपनी के सीटीओ दिमित्रो राफलस्कायी का कहना है कि जीनॉन की तुलना में आयोडीन प्रचुर मात्रा में मिल जाता है और जीनॉन की तुलना में सस्ता भी है. इसके साथ एक और लाभ यह भी है इसे बिना किसी दबाव के ठोस रूप में भी रखा जा सकता है.