कोविडकाल में हुए लगभग सभी मुख्य एग्जाम्स के रिजल्ट्स घोषित किए जा चुके हैं। साल 2020 की परीक्षाओं व परिणामों की खास बात यह रही है कि दोनों से ही विवाद जुड़े थे और इनके स्कोरिंग पैटर्न ने भी सभी को चौंका दिया। इतिहास में पहली बार नीट में एक नहीं, दो स्टूडेंट्स ने 720 में से 720 अंक हासिल किए। बताया गया कि कोविड के चलते पेपर आसान ही आया था। लेकिन कुछ परीक्षाएं ऐसी भी थीं, जिन्होंने अपनी गुणवत्ता से समझौता नहीं किया। इनमें जेईई एडवांस्ड और यूपीएससी सिविल सर्विसेस शामिल हैं।
भले ही इन दोनों एग्जाम्स की पात्रता अलग-अलग हो, लेकिन आईआईटी व यूपीएससी ने किसी भी परिस्थिति में अपनी गुणवत्ता से समझौता नहीं किया। यही कारण है कि सिविल सर्विसेज एग्जाम में टॉपर को भी 60 प्रतिशत अंक नहीं मिल पाते। जानिए कैसा है प्रमुख एग्जाम्स के मार्किंग पैटर्न का ट्रेंड।
दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा मुश्किल परीक्षा बन चुकी है यूपीएससी सिविल सर्विसेस
अपने कड़े मूल्यांकन के चलते सीएसई हमेशा से एक लो स्कोरिंग एग्जाम रहा है। टॉपर्स के मार्क्स व प्रतिशत इस तथ्य की पुष्टि करते हैं। इस साल के टॉपर हरियाणा के प्रदीप सिंह ने 52.93 प्रतिशत अंकों के साथ टॉप किया है, जबकि प्रदीप का यह चौथा अटैम्प्ट था। पिछले सालों का डेटा भी साबित करता है कि सीएसई टॉपर्स 60 प्रतिशत के आंकड़े को भी नहीं छू पाए।
2018 के टॉपर कनिष्क कटारिया ने 55.36, 2017 में दूरीशेट्टी अनुदीप ने 55.60, 2016 की टॉपर नंदिनी के आर ने 55.30 व 2015 में टीना डाबी ने 52.49 प्रतिशत अंक प्राप्त करके टॉप किया। पिछले 10 सालों की कटऑफ भी 38.27 से 49.67% के बीच रही। वजह इसका विस्तृत सिलेबस भी है जहां एक दो विषय नहीं बल्कि उनकी पूरी एक रेंज होती है। एक रिसर्च के मुताबिक दुनिया का तीसरा सबसे मुश्किल एग्जाम सिविल सर्विसेस है।
एडवांस्ड भी विश्व की स्तरीय परीक्षाओं में से एक
जेईई एडवांस्ड में 100 प्रतिशत अंक पाना अभी तक हर छात्र के लिए चुनौती बना है। साल 2012 में अर्पित अग्रवाल ने 96 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। इस साल चिराग फेलोर ने 396 में से 352 अंक हासिल किए हैं। लेकिन उसका प्रतिशत 88.88 ही रहा। इस एग्जाम की सबसे खास बात है कि एडवांस्ड का पैटर्न सेट नहीं है। कुल कितने नंबर के सवाल आएंगे, यह किसी को पता नहीं होता।
कैट में कई स्टूडेंट्स का 100 पर्सेंटाइल स्कोर
एमबीए एंट्रेंस में कैट सबसे मुश्किल परीक्षा है। साल 2019 में आयोजित कैट में दस छात्रों ने 100 पर्सेंटाइल अंक हासिल किए थे। साल 2019 में 100 पर्सेंटाइल हासिल करने वाले सभी छात्र इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के थे। स्कोरिंग में बहुत बदलाव नहीं है।
नीट में हाई स्कोरिंग से उठे कई सवाल
नीट में लगातार 3 साल से टॉपर्स के अंक बढ़े हैं। इसीलिए पर्सेंटाइल कट ऑफ बढ़ा है। 2018 में नीट टॉपर ने 691, 2019 में 701 और 2020 में दो स्टूडेंट्स ने 720 में से 720 अंक हासिल किए हैं। इससे क्वालिटी पर भी सवाल उठे हैं।
डिफिकल्टी लेवल ही तय करता है स्कोरिंग
एडवांस्ड, आईआईटी का एंट्रेंस टेस्ट है, ऐसे में इसका डिफिकल्टी लेवल अन्य एग्जाम्स की तुलना में अधिक ही होगा। इसका पेपर पैटर्न कभी सेट नहीं होता है। इसलिए हाई स्कोर हासिल करना आसान नहीं है। -प्रो. सिद्धार्थ पांडे, ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन, जेईई एडवांस्ड, 2020
^लाखों में से कुछ कैंडिडेट्स चुनने होते हैं तो बेस्ट सलेक्शन के लिए पेपर मुश्किल बनाया जाता है। जिस सर्विस को उन्हें चुनना होता है उसका इंटेलिजेंस लेवल इतना उच्च होता है कि कैंडिडेट्स को हाई परफॉर्मर होना ही पड़ता है।-प्रो. एच सी गुप्ता, पूर्व यूपीएससी सदस्य
^हाई मार्किंग का सबसे बड़ा कारण लो क्वालिटी इंस्टीट्यूट्स हैं। विदेशों में टियर-1 के साथ टियर-2-3 व 4 संस्थानों में छात्र दाखिला लेना चाहते हैं। देश में विकल्प बहुत कम हैं। -प्रो. जनत शाह, डायरेक्टर, आईआईएम, उदयपुर
किसी भी रिक्रूटमेंट, यूनियन व स्टेट कमीशन के एग्जाम में हाई स्कोर हो ही नहीं सकता। सिलेबस तय होने के बाद भी उम्मीदवार से किसी भी तरीके का सवाल पूछा जा सकता है।-प्रो. संजय लोढ़ा,