सौर गांधी के नाम से मशहूर प्रोफेसर चेतन सोलंकी गुरुवार को सौर ऊर्जा के प्रति लोगों में जागरुकता लगाने के लिए देश भर की यात्रा पर निकले। वह लगातार 11 वर्ष तक घर-परिवार से दूर रहकर लोगों को जागरुक करने के साथ ही उन्हें सौर ऊर्जा का उपयोग करने की ट्रेनिंग भी देंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सुबह एनर्जी स्वराज यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
सोलंकी 11 वर्षों तक लगातार बस के माध्यम से ही पूरे भारत में घूमेंगे। बस में मीटिंग से लेकर ट्रेनिंग देने हेतु सभी तकनीकी सुविधाएं हैं। शिवराज ने कहा कि सोलंकी के त्याग में उनकी पत्नी का अहम योगदान है। सोलंकी एक अच्छा जीवन जी सकते थे, लेकिन वे सभी के लिए जी रहे हैं। मुख्यमंत्री ने सोलंकी को मध्यप्रदेश में सौर ऊर्जा के लिए प्रदेश का ब्रांड एंबेसडर बनाया है।
सोलंकी मुंबई आईआईटी से पढ़े
मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के झिरनिया तहसील के छोटे से गांव में जन्मे चेतन सोलंकी आईआईटी मुंबई के छात्र रह चुके है। शादीशुदा सोलंकी अब सौर ऊर्जा की जनजागृति के लिए 11 वर्षों तक अब अपने परिवार से पूरी तरह दूर रहेंगे। चेतन पिछले 20 वर्षों से सौर ऊर्जा पर कार्य कर रहे रहे हैं।
कई अवार्ड भी मिल चुके
IEEE संस्था द्वारा सौर ऊर्जा में नवाचार एवं शोध के लिए उन्हें 10 हजार डॉलर का प्राइज मिल चुका है। सोलंकी प्राइम मिनिस्टर अवार्ड फॉर इनोवेशन के विजेता भी रह चुके है। इसके अलावा भी उन्हें कई अवॉर्ड मिल चुके हैं। प्यार से लोग उन्हें “सौर गांधी” भी कहते हैं। सौर के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय कार्य के लिए जाना जाता है। वैज्ञानिक होने के साथ ही वह सौर प्रौद्योगिकी से संबंधित कई राष्ट्रीय समितियों के सदस्य हैं।
गांधी के आदर्शों पर चलते हैं
सोलंकी ने गांधी के आदर्शों का पालन करते हुए इसे ‘ऊर्जा स्वराज’ शब्द दिया है। ऊर्जा स्वराज आंदोलन, लोगों तक ऊर्जा पहुंच, ऊर्जा स्थिरता आवश्यकता और जलवायु परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण जनांदोलन के रूप में कार्य कर रही है। यह ऊर्जा स्वराज यात्रा 26 नवंबर 2020 से शुरू होकर दिसंबर 2030 तक, जो कि लगभग 11 साल चलेगी।, ताकि ऊर्जा स्वराज को एक सार्वजनिक आंदोलन बनाया जा सके, लोग ऊर्जा के उपयोग और भविष्य में आने वाले संकटों के प्रति सचेत हो सकें।