कोलम्बो
श्रीलंका के मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने चुनाव जीतकर इतिहास रच दिया है। बंपर वोट पाकर वो रानिल विक्रमसिंघे की जगह लेने को तैयार हैं। उन्होंने सबसे अधिक मत पाकर राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है। अनुरा कुमारा का चुनाव जीतना भारत के लिए किसी झटके से कम नहीं है। उन्हें चीन का समर्थक माना जाता है और चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने श्रीलंकाई लोगों से वादा किया था कि अगर वे राष्ट्रपति बन जाते हैं तो श्रीलंका में अडानी के प्रोजेक्ट्स रद्द करवाएंगे।
2022 में गृह युद्ध और भयंकर आर्थिक संकट झेलने के बाद यह पहली बार था, जब श्रीलंकाई लोगों ने नए राष्ट्रपति पद के लिए वोट किया। शनिवार 21 सितंबर को करीब 75 फीसदी मतदान हुआ। श्रीलंकाई चुनाव आयोग के मुताबिक, मतदान के दौरान देश में किसी भी तरह की हिंसक घटनाएं नहीं हुई। चुनाव परिणामों में अनुरा कुमारा ने बड़ी जीत हासिल कर ली है। अनुरा कुमारा दिसानायके वर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की जगह लेने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। विक्रमसिंघे ने जुलाई 2022 में -आर्थिक संकट के बीच श्रीलंका की बागडोर संभालनी थी।
अनुरा कुमारा को 52 फीसदी वोट मिले
पीटीआई एजेंसी के मुताबिक, रविवार सुबह 7 बजे तक घोषित कुल मतों के तहत 56 वर्षीय दिसानायके को 7,27,000 वोट या 52 प्रतिशत मिले। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी और प्रमुख विपक्षी नेता 57 वर्षीय साजिथ प्रेमदासा को 333,000 वोट मिले, यानी 23 प्रतिशत वोट ही मिल पाए। वहीं, 75 वर्षीय विक्रमसिंघे 2,35,000 वोट यानी 16 प्रतिशत के साथ तीसरे नंबर पर रहे।
अनुरा कुमारा कौन हैं
अनुरा कुमारा मौजूदा समय में कोलंबो से सांसद भी हैं। AKD के नाम से मशहूर अनुरा इस वक्त दो राजनीतिक दलों का नेतृत्व कर रहे हैं- पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (JVP) और नेशनल पीपुल्स पावर (NPP)। वे श्रीलंका में मार्क्सवादी विचारधारा वाले नेता माने जाते हैं। दिसानायके का जन्म 24 नवंबर 1968 को हुआ था। अनुरा कुमारा को चीनी समर्थक माना जाता है। शनिवार को मतदान के बाद उन्होंने एएफपी के हवाले से कहा था- "हमारे देश को एक नई राजनीतिक संस्कृति की जरूरत है।" उन्होंने चुनाव अभियान के दौरान वादा किया था कि सत्ता में आने के 45 दिनों के भीतर संसद को भंग करेंगे। उन्होंने समाज के कमजोर वर्ग के लोगों को सशक्त बनाने और सतत विकास का वादा किया था।
क्या दिसानायके भारत विरोधी हैं?
मामले के जानकार बताते हैं कि इस बात की आशंका काफी ज्यादा है कि ताजपोशी के बाद दिसानायके का चीन के प्रति झुकाव ज्यादा होगा। द वीक का कहना है कि उनकी पार्टी जेवीपी पर 2021 में उनके अभियान के दौरान चीनी मदद के आरोप लगे थे। डेली मिरर श्रीलंका को दिए इंटरव्यू में दिसानायके ने कहा था, "किसी ने दावा किया था कि मैंने विदेश यात्राओं पर 70 मिलियन रुपए खर्च किए हैं। मैंने भारत और चीन की सरकारों के निमंत्रण पर वहां का दौरा किया। भारत और चीन की सरकारों ने ही सारा खर्च वहन किया था।"
अडानी के प्रोजेक्ट रद्द करने का वादा
अनुरा कुमारा की पार्टी जेपीवी ने 1980 के दशक में भारत द्वारा भेजी गई पीस कीपिंग फोर्स का विरोध किया था। भारत ने उस वक्त लिट्टे के खात्मे के लिए इस फोर्स को श्रीलंका भेजा था। हाल ही में चुनाव अभियान के दौरान दिसानायके ने श्रीलंकाई जनता से वादा किया था कि अगर वो सरकार बनाते हैं कि अडानी की पवन ऊर्जा परियोजना को रद्द करवाएंगे। उनका कहना है कि अडानी प्रोजेक्ट श्रीलंका की ऊर्जा संप्रभुता के लिए खतरे की घंटी है।