नए कृषि कानूनों (New Agriculture Law 2020) की संवैधानिक वैधता को लेकर कुछ वकीलों ने जनहित याचिका दायर की है. इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ये टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि हम किसान आंदोलन और कृषि कानूनों की अर्जी पर सोमवार को सुनवाई करेंगे, क्योंकि हमें हालात में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है.
कृषि कानूनों (New Agriculture Law 2020) की वापसी को लेकर किसानों का आंदोलन लगातार जारी है. सरकार के साथ किसानों की 8 जनवरी को आठवें दौर की बातचीत होनी है. इस बीच भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) एसए बोबडे (SA Bobde) ने किसान आंदोलन पर प्रतिक्रिया दी है. सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई बोबडे ने कहा कि अब तक हालात में कोई सुधार नहीं हुआ है. हम हालात समझते हैं और चाहते हैं कि बातचीत से मामला सुलझा लिया जाए. सीजेआई ने कहा कि सोमवार को कोर्ट में किसान आंदोलन के मामले पर सुनवाई होगी. सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि हमें उम्मीद है कि जल्द ही यह गतिरोध समाप्त होगा.
कानूनों की संवैधानिक वैधता को लेकर दायर हुई हैं जनहित याचिकाएं
नए कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को लेकर कुछ वकीलों ने जनहित याचिका दायर की है. इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि हम किसान आंदोलन और कृषि कानूनों की अर्जी पर सोमवार को सुनवाई करेंगे, क्योंकि हमें हालात में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है. वहीं, सरकार ने सुनवाई टालने की अपील की है. सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘किसानों से अभी बातचीत चल रही है. इसलिए कोर्ट को इस मामले को सुनवाई के लिए टालना चाहिए.’
अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि दोनों पक्ष किसी मुद्दे पर सहमत हो जाएंगे.’ इस पर सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा कि हम हालात से वाकिफ हैं और चाहते हैं कि बातचीत और बढ़े. हम हालात पर पूरी तरह से नजर बनाए हुए हैं.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच को बताया कि सरकार और किसानों के बीच ‘सौहार्दपूर्ण वातावरण’ में बातचीत जारी है. उन्होंने कहा कि इन याचिकाओं पर 8 जनवरी को सुनवाई नहीं होनी चाहिए.
बेंच ने कहा, ‘हम स्थिति को समझते हैं और बातचीत को प्रोत्साहित करते हैं. हम मामले की सुनवाई को सोमवार 11 जनवरी तक स्थगित कर सकते हैं, अगर आप चल रही बातचीत के संबंध में लिखित में दें.’
सरकार और किसान दोनों अपने रुख पर कायम
कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसान दोनों अपने-अपने रुख से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. किसानों का कहना है कि जब तक सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था बनी रहना सुनिश्चित करने के लिए कानून नहीं लाती, तब तक किसान आंदोलन जारी रखेंगे.
26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड की चेतावनी
किसानों ने 7 जनवरी को बड़ा प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है. उनका कहना है कि अगर मांगें नहीं मानी गई तो वो गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर ट्रैक्टर परेड करेंगे. साथ ही 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर राज्यों में राजभवनों का घेराव किया जाएगा.