दरअसल घरेलू मार्केट में स्टील के दाम 57,250 रुपये प्रति टन के टॉप पर पहुंच गए हैं. एक साल में इसकी कीमत 60 फीसदी तक बढ़ चुकी है. अक्टूबर के बाद से इसके दाम में बेतहाशा तेजी आई है
पिछले कुछ महीनों के दौरान लॉकडाउन की वजह प्रोडक्शन में आई की कमी से वाहन कंपनियों के डीलर इन्वेंट्री की कमी की सामना कर रही हैं. अब स्टील की सप्लाई में कमी आने से यह समस्या और बढ़ सकती है. दरअसल स्टील की कमी की वजह से कार मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों ने अपना प्रोडक्शन टारगेट घटाने का फैसला किया है. चौथी तिमाही में प्रोडक्शन में कार कंपनियों के प्रोडक्शन में 15 से 20 फीसदी की गिरावट आ सकती है.
मारुति सुजुकी ने घटाया प्रोडक्शन टारगेट
इकनॉमिक टाइम्स की एक खबर के मुताबिक मारुति सुजुकी ने नवंबर 2020 से जनवरी 201 के बीच पहले 5.5 लाख यूनिट्स के प्रोडक्शन का लक्ष्य रखा था लेकिन अब वह 4.97 लाख यूनिट्स का ही प्रोडक्शन करेगी. महिंद्रा एंड महिंद्रा और ऑटो कंपोनेंट मेकर बॉश ने भी प्रोडक्शन घटाने का फैसला किया था. बॉश का कहना है कि सेमी कंडक्टर की कमी से उसे प्रोडक्शन में कटौती करनी पड़ेगी.
घरेलू मार्केट में स्टील के दाम टॉप पर
दरअसल घरेलू मार्केट में स्टील के दाम 57,250 रुपये प्रति टन के टॉप पर पहुंच गए हैं. एक साल में इसकी कीमत 60 फीसदी तक बढ़ चुकी है. अक्टूबर के बाद से इसके दाम में बेतहाशा तेजी आई है क्योंकि लॉकडाउन की वजह से दुनिया भर में इसका प्रोडक्शन घटा है. जिन देशों से भारत का फ्री ट्रेड एग्रीमेंट है उनकी कीमतों की तुलना में घरेलू मार्केट में स्टील महंगा पड़ रहा है. देश में जितनी स्टील की खपत है, उसमें 15-17 फीसदी की हिस्सेदारी सिर्फ वाहन उद्योग की है. कुल स्टील प्रोडक्शन में फ्लैट स्टील की हिस्सेदारी आधी है. इसमें एक तिहाई वाहन उद्योग में ही खप जाता है.