विदेश

अटकलों के बीच रूस ने भारत को बताया अपना अहम साथी, इस बात को लेकर जाहिर की चिंता

India-Russia Relations: रूसी विदेश मंत्री सर्गेइ लवरोफ़ (Sergei lavrov) ने साफ़ कर दिया है कि भारत और रूस के सबसे करीबी देशों में से एक है और दोनों देशों के बीच आयीं दूरियों की ख़बरें बेबुनियाद हैं.

भारत और रूस के बीच रिश्तों (India-Russia Relations) में दूरियां बढ़ने की अटकलों के बीच रूसी विदेश मंत्री सर्गेइ लवरोफ़ (Sergei lavrov) ने साफ़ कर दिया है कि भारत हमेशा से ही रूस का अहम साथी रहा है और आगे भी ऐसा ही रहेगा. हालांकि रूस ने भारत और उसके रक्षा समझौतों के प्रति अमेरिकी प्रतिक्रिया को लेकर चिंता जाहिर की है. बता दें कि रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने के चलते अमेरिका भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा सकता है

सर्गेइ लवरोफ़ ने सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि भारत और रूस के बीच की साझेदारी बहुत विस्तृत है. आप इसे रणनीतिक साझेदारी भी कह सकते हैं. रूस और भारत के रिश्ते बहुत ख़ास हैं. रूस के लिए भारत बहुत क़रीब है. बहुत रणनीतिक है. आप चाहे इसे अर्थव्यवस्था के स्तर पर देखें, इनोवेशन के स्तर पर, हाइटेक या फिर सैन्य तकनीक के स्तर पर. सर्गेई ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद हमारी रणनीतिक साझेदारी एक विशेष रणनीतिक साझेदारी में तब्दील हुई है.

रिश्तों में दूरियों की अटकलों को किया खारिजसर्गेइ ने स्पष्ट कहा कि ‘हम सभी मोर्चे पर बहुत नज़दीक हैं. भारत हमारा सबसे क़रीबी साझेदारों में से एक है. ज़ाहिर है कि हम दोनों के बीच नज़दीकी राजनीतिक समन्वय है. वो चाहे संयुक्त राष्ट्र के भीतर हो या ब्रिक्स स्तर पर. हमने इन मंचों पर साथ में बहुत कुछ किया है. भारत और पाकिस्तान शंघाई को-ऑपरेशन कॉर्पोरेशन में भी हैं. हम इन मंचों से पूरे महाद्वीप में मिलकर काम करते हैं. इसे व्यापक तौर पर एशिया-पैसिफिक कहा जाता है. दोनों देशों के बीच संवाद मंत्री स्तर से लेकर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के स्तर तक होता है. हम आपस में बहुत खुलकर बात करते हैं. हम राजनीतिक मुद्दों के साथ कई आइडिया पर भी बात करते हैं. इनमें इंडो-पैसिफिक रणनीति भी शामिल है. हम केवल टर्मोलॉजिकल बदलाव पर भरोसा नहीं करते हैं. अगर आप केवल टर्म के आधार पर जाएं तो इंडो का मतलब संपूर्ण हिन्द महासागर है. लेकिन पूर्वी अफ़्रीका, फ़ारस की खाड़ी भी इंडो पैसिफिक में शामिल हैं.’

अमेरिका के प्रति चिंताएं जाहिर कीसर्गेई ने अमेरिका की प्रतिक्रिया के प्रति चिंता जाहिर करते हुए कहा, अमेरिका प्रायोजित अवधारणा में इंडो पैसिफिक की व्याख्या कुछ और है. क्वॉड गुट में यूएएस, ऑस्ट्रेलिया, जापान और इंडिया हैं. इसे माइक पॉम्पियो ने इंडो पैसिफिक इलाक़े में स्वतंत्र आवाजाही के लिए सबसे अहम बताया है. हमारे पास ऐसा मानने के लिए वजह कि ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका इस प्रारूप को आगे बढ़ा रहे हैं. इस प्रारूप में वे खुलेआम कह रहे हैं कि यह साउथ चाइना सी में स्थिरता के लिए है और चीन को रोकने के लिए है.”रूसी विदेश मंत्री ने कहा, ”मैंने अपने अच्छे दोस्त और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से इस पर बात की है. भारत में मैंने अपने सहकर्मियों से भी इसे लेकर बात की है. वे इस बात को समझते हैं कि अमेरिका की इंडो पैसिफिक रणनीति समावेशी नहीं है. यह रणनीति टकराव को बढ़ाने वाली है. इंडो-पैसिफिक में ये आक्रामकता चिंता की बात है. ये आसियान देशों की केंद्रीय भूमिका को ख़ारिज कर रहे हैं.”

सर्गेई ने कहा ”मुझे पता है कि भारत में इस मुद्दे पर चर्चा ज़ोरों पर है. मुझे पता है कि भारत अमेरिका की इंडो-पैसिफिक की उस रणनीति में शामिल नहीं होगा तो सकारात्मक और रचनात्मक नहीं होगी. इस पर मेरा पहले का बयान इंडिया में चर्चा का विषय बना था. ख़ास करके भारत उस मीडिया में इसकी चर्चा ज़्यादा हुई जिनका सरकार से संबंध बहुत दोस्ताना नहीं है.” रूसी विदेश मंत्री ने कहा, ”मैं साफ़ कर देना चाहता हूं कि भारत के लोगों में इसे लेकर कोई भ्रम नहीं होना चाहिए. हम भारत के दोस्त हैं. हम कोशिश कर रहे हैं कि भारत और चीन, जो कि हमारे अच्छे दोस्त और भाई हैं, दोनों एक दूसरे के साथ शांति से रहें. यही हमारी नीति है. हम इसे न केवल एससीओ और ब्रिक्स में बढ़ावा दे रहे हैं बल्कि हम इस पर विशेष त्रिस्तरीय प्रारूप में भी काम कर रहे हैं. यह प्रारूप त्रोइका- RIC (रूस, इंडिया, चाइना) है. यह 90 के दशक में अस्तित्व में आया और अब भी जारी है.”

रूस-PAK की नजदीकी भी बढ़ी
बता दें कि पुतिन मई 2000 में रूस के राष्ट्रपति बने और तब से भारत-रूस के बीच यह वार्षिक बैठक हो रही है. यह पहली बार है जब वार्षिक बैठक को टाला गया है. दूसरी तरफ़ रूस और पाकिस्तान की बढ़ती क़रीबी की भी बात कही जा रही है. हाल के दिनों में रूस और पाकिस्तान के बीच भी क़रीबी बढ़ी है. पिछले साल नवंबर के पहले हफ्ते में रूसी सैनिक के जवान पाकिस्तान में सैन्य अभ्यास के लिए आए थे. इसके अलावा, पाकिस्तान में रूस एलएनजी पाइपलाइन बना रहा है. पाकिस्तान में सैन्य अभ्यास को लेकर रूस सफ़ाई दे चुका है. रूसी मिशन के उप-प्रमुख रोमान बाबश्किन ने इसी महीने 20 दिसंबर को कहा था कि भारत को रूस और पाकिस्तान के संबंधों को लेकर चिंतित नहीं होना चाहिए.

रोमान ने कहा था, ”हम लोगों को लगता है कि भारत को इस मामले में चिंतित नहीं होना चाहिए. रूस संवेदनशील मामलों को लेकर बहुत सतर्क रहता है. लेकिन हम पाकिस्तान के साथ स्वतंत्र रूप से द्विपक्षीय संबंधों के लेकर भी प्रतिबद्ध हैं. पाकिस्तान के साथ भी हमारा द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक एजेंडा है. पाकिस्तान एससीओ (संघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गेनाइज़ेशन) का सदस्य है. किसी भी देश के साथ द्विपक्षीय रिश्ता किसी देश के ख़िलाफ़ नहीं होता.”

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