उदयपुर संभाग में आदिवासी मतदाताओं (Tribal voters) की संख्या तेजी से बढ़ रही है. इस इलाके में आदिवासियों में जबर्दस्त राजनीतिक जागरुकता (Political Awareness) आई है. इससे बीजेपी-कांग्रेस (BJP-Congress) के होश उड़े हुये हैं.
राज्य के आदिवासी जिलों में लोकतंत्र (Democracy) के प्रति बढ़ती आस्था बीजेपी और कांग्रेस (BJP-Congress) के लिए खतरे की घंटी बनता जा रहा है. उदयपुर संभाग मुख्यालय समेत इसके डूंगरपुर, बांसवाड़ा और भीलवाड़ा में बड़ी संख्या में आदिवासी हैं. महज तीन साल में में ही इन जिलों के आदिवासियों में जबर्दस्त तेज गति से राजनीतिक चेतना आई है. यहां वोटर्स बढ़ने से बीटीपी (BTP) का दबदबा बढ़ने की संभावना है.
वहीं इससे बीजेपी और कांग्रेस दोनों के समीकरण और गड़बड़ायेंगे. राज्य चुनाव आयोग ने हाल ही में मतदाताओं के नये आंकड़े रिलीज किये हैं. इनमें प्रदेशभर में 1.44 प्रतिशत मतदाताओं की संख्या में वृद्धि हुई है. प्रदेशभर में डूंगरपुर जिले में सबसे ज्यादा 3.26 प्रतिशत मतदाताओं की संख्या बढ़ी है.
कांग्रेस-बीजेपी को एक साथ आना पड़ा था
हाल ही में हुये पंचायती राज चुनाव में भी बीटीपी से मुकाबला करने के लिये डूंगरपुर में बीजेपी और कांग्रेस को साथ होना आना पड़ा था. इससे नाराज हुई बीटीपी ने गहलोत सरकार को बाहर से दिया जा रहा अपना समर्थन भी वापस ले लिया था. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने पिछले दिनों बीटीपी की गतिविधियों पर बैन लगाने मांग की थी. वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आदिवासियों को लोक कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से लुभाने की कोशिश कर रहे हैं. आदिवासी वोट परंपरागत रूप से कांग्रेस का माना जाता है. विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले राजस्थान में आई भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने डूंगरपुर जिले में दो सीटें जीती थी. इससे बीजेपी और कांग्रेस के होश उड़ गये थे.
भील प्रदेश की मांग होगी तेज
आदिवासियों में बढ़ती राजनीतिक चेतना की परिणीति अलग भील प्रदेश की मांग के रूप में हो सकती है. आदिवासियों की राजनीतिक ताकत बढ़ने के बाद भील प्रदेश की मांग तेज होगी. जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण की मांग भी बीटीपी की मुख्य मांगों में से एक है. उदयपुर संभाग की 17 सीटों पर 70% से ज्यादा वोटर आदिवासी समुदाय से आते हैं. गत विधानसभा चुनाव में राजस्थान में बीटीपी ने 12 उम्मीदवार उतारे थे. इनमें से दो जीते थे. अन्य ने बीजेपी-कांग्रेस के समीकरण बिगाड़े थे.
गांव-गांव जाकर भील समाज को जोड़ा
बीटीपी ने तीन साल में खुद को गांव-गांव जाकर भील समाज के लोगों के लोगों के साथ जोड़ा है. कई बार आदिवासी और गैर-आदिवासी लोगों में तनातनी भी हुई है. भारतीय ट्राइबल पार्टी की मुख्य मांग संविधान की 5वीं अनुसूची के मुताबिक अधिकार दिए जाने की है. इसके साथ ही आदिवासी क्षेत्र में वन अधिकार मान्यता कानून और पेसा कानून को पूरी तरह लागू करना भी भी मुख्य मांगों में शामिल है.