रेलवे रिक्रूटमेंट सेल (आरआरसी) की ओर से तीन जनवरी को हुई रेलवे भर्ती परीक्षा में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। यह परीक्षा निजी फर्म एनटीपीसी और टीसीएस के माध्यम से जूनियर क्लर्क और कमर्शियल क्लर्क पदों के लिए करवाई गई थी।
पश्चिम रेलवे विजिलेंस विभाग की शुरुआती जांच के मुताबिक इस परीक्षा का पेपर 7 घंटे पहले वॉट्सऐप पर जारी कर एक से पांच लाख रुपए तक ऐंठे गए थे। मामले का खुलासा तब हुआ जब आरआरसी का आधिकारिक परिणाम घोषित होने से पहले ही गिरोह ने फर्जी वेबसाइट बनाकर रिजल्ट घोषित कर दिया।
7 घंटे पहले वॉट्सऐप पर बेचे गए थे पेपर, 15 जनवरी को रिजल्ट भेजा
विजिलेंस सूत्रों के मुताबिक प्राइवेट फर्म एनटीपीसी और टीसीएस के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच की जा रही है। आरआरसी (मुंबई) से इस बारे में जानकारी मांगी गई तो उनका कहना है कि अभी हमने रिजल्ट जारी नहीं किया है। करीब 12 हजार अभ्यर्थियों ने यह परीक्षा ऑनलाइन दी थी। इसके अलावा अहमदाबाद में इसका सेंटर भी था। सूरत और आसपास के लगभग ढाई हजार छात्र इसमें बैठे थे।
फर्जी वेबसाइट का लिंक भेजकर बताया रिजल्ट, 60% से ज्यादा के 100 में से 100 नंबर
विजिलेंस के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि हमें सबसे पहले 21 जनवरी को फर्जीवाड़े का पता चला। पांच अधिकारियों की टीम ने सावरकुंडला स्टेशन पर छापेमारी कर कुछ स्टाफ को हिरासत में लिया है। इसमें क्लास फोर के कर्मचारी थे, जो इस परीक्षा में हायर पोस्ट के लिए प्रतियोगी थे। इन्हें तीन जनवरी को हुए एग्जाम के सात घंटे पहले वॉट्सअप पर पेपर मिल गया था। बाद में यही पेपर असल परीक्षा में भी आया था।
दिल्ली, बिहार से जुड़ा हो सकता है यह गिरोह
उन कैंडिडेट को 15 जनवरी को एक लिंक भेज कर बताया गया कि रिजल्ट जारी हो गया है। जिस पर उन्होंने चेक किया तो सभी को 100 से 100 मार्क्स मिले थे। विजिलेंस ने लिंक की पड़ताल की तो यह आरआरसी का था ही नहीं। यह रैकेट दिल्ली और बिहार से नियंत्रित किया जा रहा था। परीक्षा लेने वाली प्राइवेट फर्म के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच की जा रही है। फर्जीवाड़े में रेलवे के बड़े अधिकारियों की मिलीभगत होने की आशंका है।