सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि MBBS कर रहे छात्र का किसी दूसरे कॉलेज में स्थानांतरण तभी मान्य होगा, जब दोनों ही कॉलेज केंद्र सरकार से मान्यता प्राप्त हों और मानकों के अनुसार संचालित हो रहे हों. यह फैसला न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने राजस्थान होईकोर्ट के उस फैसले को दरकिनार करते हुए दिया, जिसमें भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (एमसीआई) को निर्देश दिया गया था कि वह गैर मान्यता प्राप्त कॉलेज से एक एमबीबीएस छात्रा को मान्यता प्राप्त कॉलेज में स्थानांतरित करने की अनुमति दे.
पीठ ने बताए यह कारणसुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि MBBS कर रहे छात्र का किसी दूसरे कॉलेज में स्थानांतरण तभी मान्य होगा, जब दोनों ही कॉलेज केंद्र सरकार से मान्यता प्राप्त हों और मानकों के अनुसार संचालित हो रहे हों.
पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा की गई स्थानांतरण नियमों के नियम 6 (2) की व्याख्या स्पष्टत: गलत है. नियम गैर मान्यता प्राप्त कॉलेज से मान्यता प्राप्त कॉलेज में स्थानांतरण पर स्पष्ट रूप से रोक लगाता है. नियम 6 (2) कहता है कि स्थानांतरण केवल तभी मान्य है, जब दोनों कॉलेज भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद कानून 1956 के नियम 11 (2) के तहत मान्यता प्राप्त हों. अन्यथा नहीं.
इस फैसले पर सुनवाई कर रही थी पीठ
पीठ राजस्थान होईकोर्ट के सितंबर 2020 के उस फैसले के खिलाफ एमसीआई की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें छात्रा आंचल परिहार के स्थानांतरण को मंजूरी दे दी गई थी. साथ ही कहा गया था कि शब्द स्थानांतरण केवल भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद कानून तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका दायरा व्यापक है.
परिहार अनंत इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर, राजसमंद में पढ़ाई कर रही थी. छात्रा ने साल 2019 में निदेशक मंडल से डॉ. एस एन मेडिकल कॉलेज, जोधपुर में अपने स्थानंतरण को मंजूरी देने का आग्रह किया था. एमसीआई ने छात्रा के आग्रह को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह स्थानांतरण नियम के तहत मान्य नहीं है.