गहलोत सरकार के इस बजट से किसानों (Farmers) को काफी उम्मीदें हैं. किसानों की सबसे बड़ी मांग कर्ज राशि में बढ़ोतरी और ब्याज दर कम करने की है.
देश और प्रदेश में सत्ता का रास्ता खेतों से होकर गुजरता है. किसी भी सरकार के लिए कृषि क्षेत्र (Agricultural sector) और किसानों की उपेक्षा करना आसान नहीं होता. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दो दिन बाद 24 फरवरी को प्रदेश का वार्षिक बजट (Budget) पेश करने वाले हैं. उम्मीद की जा रही है कि इस बजट में किसानों के लिए भी काफी कुछ सौगातें और राहतें होंगी. भौगोलिक दृष्टि से राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य है. कृषि की दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण राज्य है.
आंकड़ों के लिहाज से देखा जाए तो कृषि सेक्टर सबसे बड़ा क्षेत्र है. लिहाजा इस सेक्टर की उम्मीदें भी कुछ ज्यादा हैं. पिछले साल राज्य के कुल बजट का 5.5 प्रतिशत हिस्सा कृषि क्षेत्र के लिए आवंटित था. जबकि देश के सभी राज्यों का औसत देखा जाए तो यह 7.1 प्रतिशत होता है. इसलिये प्रदेश में भी कृषि का बजट बढ़ाए जाने की जरुरत है. एसजीडीपी में कृषि क्षेत्र का बड़ा योगदान होता है. इस लिहाज से किसानों के कर्ज की राशि में बढ़ोतरी करने और ब्याज दर कम करने की जरुरत है.
बजट से कृषि क्षेत्र को ये हैं उम्मीदें
– कृषि क्षेत्र में रिसर्च के लिए बजट बढ़ाये जाने की आवश्यकता है.
– किसानों की ट्रेनिंग और विजिट के लिए भी पर्याप्त बजट के प्रावधान चाहिये है.
– महिला कृषकों के कौशल और प्रशिक्षण पर फोकस हो.
– सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा दिया जाये.
– उद्यानिकी क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया जाये.
– प्रदेश में सरसों और बाजरा की प्रोसेसिंग पर फोकस हो.
– तारबंदी के लक्ष्य बढाए जाएं और इसे व्यक्तिगत कर दिया जाए.
– कोरोना काल में आयुर्वेदिक औषधियों का महत्व बढ़ा है लिहाजा औषधीय खेती को बढ़ावा दिया जाए.
– राजस्थान को औषधीय प्रदेश घोषित किया जाए.
– मेडिसिनल बोर्ड को फिर से उद्यानिकी विभाग के अधीन लाया जाए.
– जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए जैविक बोर्ड का गठन किया जाए.
– बांस की खेती को प्रोत्साहित किया जाए.
– डेयरी सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए सेक्स सॉर्टेड सीमेन के लिये पर्याप्त बजट का प्रावधान हो.
– कामधेनु योजना का लाभ किसानों को नहीं मिल रहा इसमें पर्याप्त बजट का प्रावधान किया जाये.
– बकरी और भेड़ पालन को बढ़ावा दिया जाए .
कृषि क्षेत्र को भी सुधारों और राहत की वैक्सीन दिए जाने की जरुरत है
कृषि विशेषज्ञ डॉ. शीतल प्रसाद शर्मा के अनुसार देश कोरोना के मुश्किल दौर से गुजर रहा है. इंसानों की तरह कृषि क्षेत्र को भी सुधारों और राहत की वैक्सीन दिए जाने की जरुरत है. प्रदेश में कृषि विश्वविद्यालयों की संख्या तो बढ़ी है लेकिन रिसर्च का बजट कम होता चला गया. राजस्थान और इजराइल की परिस्थितियां मेल खाती हैं लेकिन राजस्थान को इजराइल बनाने की दिशा में मन से प्रयास नहीं किए गए हैं. सरसों और बाजरा को लेकर भी वर्किंग ग्रुप बनाए जाने की मांग उठ रही है जो इनके सम्पूर्ण उपयोग पर फोकस करे. हाल ही में मुख्यमंत्री ने कृषि से जुड़े लोगों के साथ बजट पूर्व संवाद किया था. उसमें इस तरह के सुझाव सामने आए थे.
किसानों की सामाजिक सुरक्षा के लिए एक्ट बनाए जाने की मांग
प्रगतिशील किसान सुरेन्द्र अवाना के अनुसार राजस्थान में ऐसी 10 तरह की खरपतवारें मिलती हैं जिनका औषधीय महत्व है और वो दूसरे स्थानों पर नहीं पाई जाती हैं. किसानों की सामाजिक सुरक्षा के लिए एक्ट बनाए जाने की मांग लम्बे समय से उठ रही है. वहीं किसानों को खेती के लिए मुफ्त बिजली, पेटा काश्त भूमि का किसानों को अस्थायी आवंटन करने और ड्रिप सिस्टम तथा कीटनाशक सहित दूसरे कृषि आदानों से जीएसटी हटाए जाने जैसी मांगें भी उठ रही है.