दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने सोमवार को दिल्ली सरकार से पूछा कि क्या राष्ट्रीय राजधानी में आपके विधायक इमरान हुसैन को ‘रिफिलर’ के जरिए ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई, जिसे घर में ही पृथक-वास में रह रहे लोगों, अस्पतालों और एम्बुलेंस के लिए गैस दी गई थी. न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की एक पीठ ने विधायक को ऑक्सीजन की खरीद के दस्तावेज दिखाने को कहा, जिन्होंने दावा किया है कि उन्हें गैस दिल्ली से नहीं मिली बल्कि उन्होंने इसे फरीदाबाद और हरियाणा से खरीदा है.
हुसैन के वकील विकास पाहवा ने अदालत से कहा कि विधायक ने गैस दिल्ली के बाहर से खरीदी है, जबकि सिलेंडर राष्ट्रीय
राजधानी से ही किराए पर लिए गए और यह साबित करने के लिए उनके पास सबूत भी है. इसके बाद ही अदालत ने उक्त निर्देश दिया. रसीद रिकॉर्ड में पेश नहीं होने के कारण अदालत ने विधायक को उनके दावों के पक्ष में दस्तावेज पेश करने का निर्देश देते हुए मामले को 13 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया है.
शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान एक याचिका कोर्ट के सामने आई थी, जिसमें कहा गया था कि ऑक्सीजन सिलेंडर की जमाखोरी और कालाबाजारी हो रही है. याचिका में जमाखोरी का आरोप दिल्ली सरकार में मंत्री इमरान हुसैन के ऊपर लगाया गया. जिसके बाद कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हमारे सामने ऐसे सभी लोगों की लिस्ट लाइए जो ऐसा करते हुए पाए गए हैं, खासतौर पर 2 मई को दिए गए आदेश के बाद भी. हम उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना के तहत कार्रवाई शुरू करेंगे.
क्या है मामला
याचिका दायर करने वाले वकील ने कहा कि इस याचिका में साफ तौर पर एक फेसबुक पोस्ट का जिक्र किया गया है जो आम आदमी पार्टी दिल्ली के फेसबुक अकाउंट पर मौजूद है. उस पोस्ट में आम आदमी पार्टी सरकार में मंत्री इमरान हुसैन द्वारा ऑक्सीजन बांटने की बात हो रही है. कोर्ट ने कहा कि पहले हमको यह देखना होगा कि आखिर यह ऑक्सीजन ला कहां से रहे हैं. मुमकिन है कि यह दिल्ली के बाहर से भी ला रहे हों. ऐसे तो कुछ गुरुद्वारे भी इसी तरीके से ऑक्सीजन बांट रहे हैं. कोर्ट ने कहा अगर यह दिल्ली को अलॉट किए गए कोटा में से ऑक्सीजन ना लेकर अन्य स्रोतों से उनका इंतज़ाम किया गया है, तो फिर किसी इंक्वायरी की जरूरत नहीं है.