अंसल बंधुओं (Ansal Brothers) के खिलाफ दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (Economic Offenses Wing of Delhi Police) में मुकदमा दर्ज हो गया है. अंसल बंधुओं पर आरोप है कि उन्होंने पहले से गिरवी पड़ी जमीन को एक अन्य कंपनी को करोड़ों रुपये में बेचा है. ये जमीन गाजियाबाद (Ghaziabad) के डूंडेरा इलाके में मौजूद है.
ये जमीन CCIPPL कंपनी ने साल 2015 की मई में 82 करोड़ रुपये में खरीदकर उस पर 63 करोड़ रुपये कंस्ट्रक्शन पर भी खर्च कर दिए थे. मई 2016 में खरीदार कंपनी को पता चला कि अंसल बंधुओं ने ये जमीन इससे पहले में एक अन्य कंपनी को गिरवी रखकर उनसे पैसे लोन पर ले रखे हैं. मामले का खुलासा होने के बाद ठगी का शिकार हुई कंपनी मैनेजमेंट ने अंसल बंधुओं के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है.
इधर, सीएजी ने शुरू की सुपरटेक मामले की जांच
नोएडा में बीते सालों में किन-किन ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं के नक्शों में बदलाव किया गया, इसकी जांच अब CAG ने भी शुरू कर दी है. इसके अलावा सुपरटेक एमराल्ड मामले (Supertech Emerald Case) से संबंधित रिकॉर्ड की जांच CAG ने शुरू की है. सेक्टर-93ए स्थित सुपरटेक एमराल्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अवैध रूप से बने दो टावरों को गिराने का आदेश दिया है. इसकी जमीन लेने के बाद बिल्डर ने यहां पर फ्लैटों के निर्माण के लिए नक्शों में तीन बार बदलाव करवाया.
इधर, सीएजी ने शुरू की सुपरटेक मामले की जांच
नोएडा में बीते सालों में किन-किन ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं के नक्शों में बदलाव किया गया, इसकी जांच अब CAG ने भी शुरू कर दी है. इसके अलावा सुपरटेक एमराल्ड मामले (Supertech Emerald Case) से संबंधित रिकॉर्ड की जांच CAG ने शुरू की है. सेक्टर-93ए स्थित सुपरटेक एमराल्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अवैध रूप से बने दो टावरों को गिराने का आदेश दिया है. इसकी जमीन लेने के बाद बिल्डर ने यहां पर फ्लैटों के निर्माण के लिए नक्शों में तीन बार बदलाव करवाया.
वर्ष 2009 व 2012 में नियमों को ताक पर रखकर नक्शों में बदलाव किया गया. 40-40 मंजिल के टावरों के बीच की जो दूरी 16 मीटर रहनी चाहिए थी, वह यहां घटाकर नौ मीटर कर दी गई. बेशक यह आदेश सुप्रीम कोर्ट ने एमराल्ड सोसाइटी को लेकर दिया गया है, लेकिन बीते सालों में किन-किन बिल्डर परियोजनाओं में इस तरह से नक्शों में बदलाव किया गया, इसकी जांच सीएजी ने शुरू कर दी है.