राजस्थान (Rajasthan) में पंचायत चुनाव (Panchayat Chunav) के नतीजे कांग्रेस (Congress) के पक्ष में आने के बाद सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बीच विवाद सुलझने के बजाय उलझता नजर आ रहा है. मत्रिमंडल (Cabinet) फेरबदल की अटकलों पर फिलहाल विराम लग गया. सचिन पायलट गुट को राजस्थान में सत्ता में भागीदारी दिलाने की कांग्रेस हाईकमान की कसरत से पर पानी फिरता नजर आ रहा है. इस सच से वाकिफ होने के बाद सचिन पायलट ने अपनी जमीनी ताकत मजबूत करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है. इसकी शुरुआत अपने जन्मदिन पर ताकत की नुमाइश कर की.
गहलोत-पायलट के बीच चल रही सियासी जंग के बीच छह जिलों के उपचुनाव के नतीजे से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक साथ दो निशाने साधे. एक तो पार्टी आलाकमान का ये संदेश कि गहलोत-डोटासरा की जोड़ी विनिंग कॉम्बिनेशन है और बगैर पायलट के भी चुनाव जीत सकते हैं. इस जोड़ी से छेड़छाड़ न की जाए. छह जिलों के पंचायत समिति से लेकर जिला परिषद दोनों के नतीजो में बीजेपी पर कांग्रेस भारी पड़ी. इससे पहले तीन सीटों पर उपचुनाव मे भी दो सीटों पर जीत हासिल की थी.
उपचुनाव की तैयारी
पंचायत चुनाव के नतीजों के बाद अशोक गहलोत पार्टी नेृत्व को समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि कुछ ही महीने में राजस्थान में वल्ल्भनगर व धरियावाद दो सीटों पर उपचुनाव होने है. अभी अगर बदलाव न किया जाए तो जीत का सिलसिला जारी रह सकता है. अगर पार्टी नेतृत्व गहलोत के संदेश से सहमत हुआ तो ये तय माना जा रहा है कि दो सीटों के उपचुनाव से पहले बदलाव मुश्किल है. यानी अगले चार महीने तक बदलाव की गुंजाइश खत्म.
हार को बनाया ट्रंप कार्ड
सिर्फ मसला बदलाव का नहीं है. अशोक गहलोत इस कोशिश में है कि बदलाव की चाभी भी हाईकमान उन्हें सौंप दे, जिससे मंत्रीमंडल फेरबदल में भी अपनों को साध सकें. वे बदलाव तब करें जब उन्हें मुफीद लगे. पंचायत चुनाव में जयपुर जिला प्रमुख के पद पर कांग्रेस की हार को गहलोत गुट ट्रंप कार्ड मान रहा है. इसको लेकर सचिन पायलट की घेराबंदी की जा रही है. जयपुर जिला प्रमुख के चुनाव में कांग्रेस के हारने के लिए गहलोत गुट पायलट कैंप को जिम्मेदार ठहरा रहा है. खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर बिना नाम लिए सचिन पायलट पर हमला बोला कि जयपुर में जिला प्रमुख के चुनाव में दगाबाजी करने वाले वही लोग जिन्होने सरकार गिराने की कोशिश की थी
खेल मंत्री चांदना ने भी साधा निशाना
गहलोत के इस हमले के बाद गहलोत सरकार में खेल मंत्री अशोक चांदना ने तो पायलट कैंप के लोगों को जयचंद तक कह डाला. बिना नाम लिए निशाना साधा कि पहले सरकार गिराने की कोशिश करने वाले अब ये कांग्रेस मे रहकर बीजेपी का काम कर रहे हैं. जयपुर जिले के पंचायत चुनाव के कांग्रेस के प्रभारी गोविंद मेघवाल ने तो पायलट कैंप के विधायक वेद प्रकाश सोंलकी पर धोखेबाजी करने और चुनाव हरवाने का आरोप लगाया और पार्टी नेतृत्व को शिकायत कर दी.
बहुमत के बाद भी हार
दरअसल जयपुर जिला परिषद के चुनाव मे बहुमत कांग्रेस के पास था, लेकिन रमादेवी चौपड़ा समेत कांग्रेस के दो सदस्य बगावत कर बीजेपी में जा मिले. कांग्रेस से ही बगावत करने वाली रमादेवी को बीजेपी ने जिला प्रमुख का प्रत्याशी बना दिया. आखिरी मौके पर इस बगावत को मेघवाल ने सोंलकी की बीजेपी से मिलिभगत और कांग्रेस प्रत्याशी को हराने की साजिश करार दिया. अब पार्टी हाईकमान से शिकायत कर सोंलकी के खिलाफ कार्रवाई की कोशिश की जा रही है. इसके जरिये गहलोट गुट की हाईकमान को ये दिखाने की कोशिश की पायलट कैंप की निष्ठा कांग्रेस में नहीं अब भी बीजेपी से मिलिभगत है. पायलट और उनके गुट पर भरोसा न किया जाए. फिर धोखा दे सकते हैं.
बगावत से इनकार
हालांकि सोंलकी सफाई दे चुके कि उनका हाथ नहीं बगावत में. पायलट कैंप के इंद्रराज गुर्जर ने भी कहा कि अगर हरवाना ही होता तो सिर्फ जयपुर में क्यों दूसरी जगहों पर भी कर सकते थे. गहलोत गुट पर निशाना भी साधा कि अगर जयपुर में पायलट कैंप जिम्मेदार तो कई और जगह भी बगावत हुई चुनाव मे वहां किसकी जिम्मेदारी. सचिन पायलट ये बखूबी जानते हैं कि ड्राइंग रूम पॉलिटिक्स में गहलोत माहिर खिलाड़ी हैंं, इसलिए पायलट रूम के अंदर के बजाय गहलोत से उनकी कमजोर पिच यानी भीड़ के मैदान में मुकाबले की तैयारी कर रहे हैं. पायलट ने पहले जन्मदिन के बहाने राजस्थान में अपनी जमीनी जन समर्थन दिखाने की कोशिश की, अब वे ऐसे ही और मौके तलाश रहे हैंं, जब दिखा सके कि लोकप्रियता के मीटर पर वे गहलोत से आगे है.