नई दिल्ली. देश में अनलॉक-1 का पहला हफ्ता बीत चुका है। इस बीच, कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों से घबराई दिल्ली सरकार ने रविवार को बड़ा फैसला किया। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा, “दिल्ली के 90% लोगों का कहना है कि जब तक कोरोना है, तब तक राजधानी के अस्पतालों में सिर्फ दिल्ली के मरीजों का इलाज किया जाए। इसी कारण केंद्र संचालित अस्पतालों को छोड़कर दिल्ली के सभी निजी-सरकारी अस्पतालों में अब दिल्ली के लोगों का ही इलाज होगा।’
केजरीवाल ने यह भी कहा कि दूसरे शहरों से ऑन्कोलॉजी और न्यूरोलॉजी से जुड़ी सर्जरी के लिए आने वाले मरीजों काे निजी अस्पतालों में इलाज मिल सकेगा। बता दें कि शनिवार को ही 5 डॉक्टरों की सरकारी समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि दिल्ली में बाहरी लोगों को इलाज न मिले, वरना सारे बेड 3 दिन में भर जाएंगे। इसी रिपोर्ट के आधार पर यह फैसला हुआ।
दिल्ली में शराब पर लगने वाला कोरोना सेस हटाया
केरजरीवाल ने सोमवार से हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा खोलने का ऐलान किया है। इससे दिल्ली में अंतरराज्यीय आवाजाही शुरू हो सकेगी। इसके अलावा शराब पर लगाया गया 70 फीसदी कोरोना उपकर (सेस) भी 10 जून से खत्म कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली के होटल और बैंक्वेट बंद रहेंगे, ताकि जरूरत पर इन्हें अस्पताल में बदला जा सके। इस महीने के आखिर तक हम क्षमता 15 हजार बेड कर लेंगे।
दिल्ली सरकार के फैसले पर राजनीति शुरू
दिल्ली सरकार के फैसले पर राजनीति शुरू हो गई है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने इसके खिलाफ समर्थकों के साथ राजघाट के पास प्रदर्शन किया। उन्हें लॉकडाउन उल्लंघन के आरोप में हिरासत में ले लिया गया। उधर, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, राजधानी दिल्ली में राष्ट्र के नागरिकों का ही इलाज नहीं होगा। केजरीवाल सरकार के अजीब और विकृत तर्क पर केंद्र की मोदी सरकार भी चुप है! वहीं, अजय माकन ने कहा कि जब सामुदायिक संक्रमण फैलने के संकेत मिल रहे हैं, ऐसे में दिल्ली को खोलने का फैसला बचकाना है। यह शर्मनाक है कि दिल्ली में कोरोना बढ़ने की दर देश में सबसे ज्यादा, ठीक होने की दर सबसे कम है।
डीएमए के निशाने पर मुख्यमंत्री केजरीवाल, कहा- अस्पतालाें और डॉक्टरों काे धमकी देना गलत
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी अस्पतालाें के खिलाफ कार्रवाई करने और उन्हें ब्लैक मार्केटियर बताने पर अस्पताल एसाेसिएशन और दिल्ली मेडिकल एसाेसिएशन (डीएमए) ने कड़ी आपत्ति जताई है। डीएमए ने कहा, “जिस तरह से सीएम ने कोरोना मरीजों के दाखिले और टेस्ट को लेकर डॉक्टरों को चेतावनी दी है और अस्पतालों को धमकाया है, उसकी दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन निंदा करती है।’ वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सर गंगा राम अस्पताल के अधीक्षक के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने काे देश के मेडिकल इतिहास में काला दिन करार दिया है।
आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजन शर्मा ने कहा कि एफआईआर का मकसद “लोगों को डॉक्टरों के खिलाफ उकसाना’ है। शर्मा ने कहा, “यह देश की एक बड़ी विफलता है। कोविड-19 एप में किसी व्यक्ति के आधार विवरण को अपडेट नहीं करने के लिए एफआईआर दर्ज की गई है। क्या यह अपराध है? हम इसकी निंदा करते हैं।’ फिक्की स्वास्थ्य सेवा समिति के सलाहकार और फाेर्टिस अस्पताल के अध्यक्ष नराेत्तम पुरी ने कहा, “मैं चकित हूं। कुछ दिन पहले सरकार ने गंगा राम अस्पताल पर फूल बरसाए और अब उसे काला-बाजारी करने वाला बताया जा रहा है। यह चिकित्सा पेशे में एक काला दिन है।’