मध्यप्रदेश

मोहन सरकार तीर्थ दर्शन योजना में श्रद्धालुओं को मध्‍य प्रदेश के तीर्थों का भी कराया जाएगा भ्रमण

भोपाल
 मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना का विस्तार करके अब इसमें मध्‍य प्रदेश के तीर्थ स्थलों को भी शामिल किया जाएगा। मुख्यमंत्री डाॅ. मोहन यादव ने मंत्रालय में योजना की समीक्षा के अवसर पर यह निर्देश दिए हैं।

उन्होंने कहा, धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग ऐसे स्थलों का अध्ययन कर कार्ययोजना तैयार करे। मध्‍य प्रदेश के स्थानों की यात्रा से जहां बुजुर्ग यात्रियों को अपने ही प्रदेश के प्रसिद्ध स्थान देखने और देव दर्शन का अवसर मिलेगा, वहीं प्रदेश की अर्थव्यवस्था की दृष्टि से भी यह महत्वपूर्ण होगा। धार्मिक न्यास, धर्मस्व मंत्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी बैठक में वर्चुअल शामिल हुए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देव स्थलों को सुविधायुक्त बनाएं। राम राजा की नगरी ओरछा, शारदा माता के स्थान मैहर, बड़ा महादेव मंदिर, चौरागढ़ महादेव, जटा शंकर पचमढ़ी पर व्यवस्थाएं बेहतर की जाएं। उन्होंने धार्मिक एवं सांस्कृतिक लोकों के निर्माण की प्रगति की समीक्षा भी की।

वर्ष 2012 से प्रारंभ हुई मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के तहत आठ लाख श्रद्धालुओं ने तीर्थ दर्शन किया है। इस वित्त वर्ष में वाराणसी, अयोध्या, रामेश्वरम, द्वारका, जगन्‍नाथपुरी, कामाख्या, शिर्डी, हरिद्वार, मथुरा-वृंदावन, बाबा साहेब डाॅ. भीमराव आंबेडकर की दीक्षा भूमि (नागपुर) और स्वर्ण मंदिर अमृतसर के लिए 35 ट्रेनों की व्यवस्था कराई जाएगी। वर्ष 2023-24 से वायुयान द्वारा तीर्थ यात्रा भी शुरू की गई है जिसका लाभ 790 तीर्थ यात्रियों को मिला है।

तीर्थ दर्शन की तरह युवाओं को भ्रमण कराने की भी योजना बनाएं

मुख्यमंत्री ने कहा कि युवा वर्ग को प्रदेश की पुरा-संपदा और अन्य महत्वपूर्ण स्थलों से परिचित करवाने के लिए अन्य विभाग भी पहल करें। ज्ञान-विज्ञान के केंद्रों, ऐतिहासिक महत्व के स्थानों, प्राकृतिक सुंदरता के स्थानों और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों तक युवाओं को ले जाने से उनके ज्ञान में वृद्धि होगी।

जनजातीय विकास विभाग द्वारा प्रत्येक जिले से मेरिट एवं अन्य आधार पर विद्यार्थियों का चयन कर उन्हें भ्रमण करवाएं। जनजातीय बहुल क्षेत्रों में अनेक लोक गायक, संगीतकार और कलाकार निवास करते हैं। इन्हें प्रदेश के विभिन्न स्थानों के भ्रमण के लिए आमंत्रित किया जाए। वे मंचीय प्रस्तुति के लिए अपनी यात्रा, पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ करें। इससे ऐसे स्थानों पर आने वाले देश- विदेश के पर्यटकों और श्रद्धालुओं तक उनकी कला पहुंचेगी।

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