प्रदेश में राज्य सरकार ने तबादलों पर बैन लगा दिया है. प्रशासनिक सुधार विभाग (Administrative Reforms Department) की ओर से जारी परिपत्र के अनुसार किसी भी अधिकारी और कर्मचारी का तबादला अब सिर्फ राज्य हित में ही किया जाएगा.
प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार (Ashok Gehlot Government) ने एक बार फिर से अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादलों पर बैन (Ban on transfers) लगा दिया है. तबादला करने की मियाद 31 अक्टूबर को समाप्त हो गई थी. इससे पहले राज्य सरकार ने प्रदेश में तबादलों पर लगे प्रतिबंध को 15 सितंबर से 31 अक्टूबर तक के लिये हटा लिया था. लेकिन अब 31 अक्टूबर को तबादला करने की अवधि समाप्त होने के बाद उसे आगे नहीं बढ़ाया. अब फिर से उन पर आगामी आदेश तक बैन लगा दिया गया है.
प्रशासनिक सुधार विभाग ने जारी किया परिपत्र
राज्य के प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से जारी परिपत्र केअनुसार किसी भी अधिकारी और कर्मचारी का तबादला अब सिर्फ राज्य हित में ही किया जाएगा. परिपत्र में कहा गया है की इच्छित जगह के लिए एपीओ कर अधिकारियों और कर्मचारियों को लगाने के मामलों को गंभीरता से लिया जाये. प्रशासनिक सुधार विभाग ने सभी विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव को आदेशों की सख्ती के साथ पालना करने के निर्देश दिए हैं. ये आदेश राज्य के सभी निगमों, बोर्डों, मंडलों और स्वायत्तशासी संस्थाओं पर भी लागू होंगे.
तबादला अवधि में सरकार ने टॉप-टू-बॉटम ब्यूरोक्रेसी को खंगाल डाला था
उल्लेखनीय है कि तबादलों पर से बैन हटने के दौरान अधिकारियों और कर्मचारियों में इच्छित स्थानों पर जाने के लिये होड़ मच गई थी. सभी विभागों में विधायकों की डिजायरों का अंबार लग गया था. इस अवधि में राज्य सरकार ने टॉप-टू-बॉटम ब्यूरोक्रेसी को खंगाल डाला था. उसके बाद अब प्रदेश में मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक भी बदल गये हैं. तबादला अवधि में कई अधिकारियों के तीन से चार बार तक तबादले कर दिये गये थे. इनमें कई टॉप ब्यूरोक्रेट्स भी शामिल थे. इस बात को लेकर उन्होंने नाराजगी भी जाहिर की थी.