राजस्थान

राजस्थान में गांवों की परीक्षा में कांग्रेस फेल:भाजपा ने अब तक पंचायत समितियों की 44% और जिला परिषद की 55% सीटें जीतीं

राजस्थान के 21 जिलों में हुए जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनावों की काउंटिंग चल रही है। 21 जिलों में 636 जिला परिषद सीटों में से 635 के नतीजे आ चुके हैं। 222 पंचायत समितियों के लिए 4371 सदस्यों में से 4304 का फैसला हो चुका है। राज्य में कांग्रेस की सरकार होने और किसान आंदोलन के बावजूद भाजपा को दोनों ही चुनावों बढ़त मिली है। जिला परिषद की 353 और पंचायत समिति की 1990 सीटों पर भाजपा की जीत हुई है। जिला प्रमुख और प्रधान का चुनाव 10 दिसंबर, उप जिला प्रमुख और उप प्रधान का चुनाव 11 दिसंबर को होगा।

जिला परिषद सदस्यों के अब तक के नतीजे

पार्टीजीते
कांग्रेस252
भाजपा353
CPIM2
RLP10
निर्दलीय18

पंचायत समिति सदस्यों के अब तक के नतीजे

पार्टीजीते
कांग्रेस1796
भाजपा1990
BSP3
CPIM26
RLP60
निर्दलीय429

जेपी नड्डा का ट्वीट

डोटासरा, पायलट, रघु शर्मा, आंजना, चांदना के इलाकों में भी कांग्रेस की हार

पूर्व डिप्टी CM सचिन पायलट, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा, सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना और खेल राज्य मंत्री अशोक चांदना के इलाकों में भी कांग्रेस हार गई।

  • 14 जिलाें में भाजपा बना सकती है बाेर्ड : अजमेर, बाड़मेर, भीलवाड़ा, बूंदी, चिताैड़गढ़, चूरू, जालाैर, झालावाड़, झुंझुनूं, पाली, राजसमंद, सीकर, टाेंक और उदयपुर।
  • 5 जिलाें में कांग्रेस बनाएगी बोर्ड : बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़, हनुमानगढ़, जैसलमेर।
  • नागौर में बेनीवाल किंगमेकर : 20 सीटें भाजपा को, 18 कांग्रेस को और 9 RLP काे मिली हैं।
  • डूंगरपुर में BTP का जिला प्रमुख बनेगा।

कांग्रेस की हार की 3 बड़ी वजह

1. संगठन की गैर माैजूदगी : न तो प्रदेश और न ही जिला स्तर पर कांग्रेस का संगठन नजर आया।

2. विधायकों के भराेसे रहे : विधायकों को सिंबल दे दिए गए। पिछले दिनों जयपुर, कोटा और जोधपुर नगर निगम चुनावों में भी इसका खामियाजा उठाना पड़ा था।

3. टिकट बंटवारे में परिवारवाद के आरोप : विधायकों ने ज्यादातर टिकट रिश्तेदारों को बांटे, इससे नाराजगी बढ़ी। टिकट बेचने के आरोप भी लगे।

इस हार के 3 बड़े सियासी मायने

1. अगले साल उपचुनाव : अगले साल विधानसभा उपचुनाव होने हैं, ऐसे में पंचायत चुनावों की हार मनोबल गिरा सकती है।

2. पार्टी में असंतोष: हार का ठीकरा फोड़ने को लेकर पार्टी में असंतोष का खतरा बढ़ गया है।

3. राजनीतिक नियुक्तियों पर असर : आने वाले दिनों में पार्टी में संगठन और राजनीतिक नियुक्तियां होनी हैं, ऐसे में जिन मंत्रियों और विधायकों के क्षेत्र में कांग्रेस हारी है, उन्हें इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है।

कई बड़े नेता अपने रिश्तेदारों की सीट भी नहीं बचा पाए

  • केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के बेटे बीकानेर जिला परिषद चुनाव हार गए।
  • सादुलपुर से कांग्रेस विधायक कृष्णा पूनिया की सास और देवरानी पंचायत समिति सदस्य के

चुनाव में हारीं।

  • भाजपा विधायक गोपीचंद मीणा की मां उगमा देवी भीलवाड़ा की जहाजपुर पंचायत समिति का चुनाव हारीं।
  • सरदारशहर विधायक भंवरलाल शर्मा की पत्नी मनोहरी देवी शर्मा अपने देवर श्यामलाल से पंचायत समिति सदस्य का चुनाव हारीं। श्यामलाल ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था।
  • श्रीमाधोपुर के पूर्व विधायक झाबर खर्रा के बेटे दुर्गा सिंह चुनाव हारे।गढ़ी से भाजपा विधायक कैलाश मीना की पुत्रवधू हारीं।कांग्रेस की पूर्व विधायक कान्ता भील के पुत्र अरथूना से हारे।

इन 21 जिलों में हुए चुनाव
अजमेर, बांसवाड़ा, बाड़मेर, भीलवाड़ा, बीकानेर, बूंदी, चित्तौडगढ, चूरू, डूंगरपुर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, जालौर, झालावाड़, झुंझुनूं, नागौर, पाली, प्रतापगढ़, राजसमंद, सीकर, टोंक और उदयपुर।

4 फेज में हुई थी वोटिंग
पहला फेज : 23 नवंबर, दूसरा : 29 नवंबर, तीसरा: 1 दिसंबर, चौथा: 5 दिसंबर

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