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जानें शरद पूर्णिमा पर चांदनी रात में कब रखे खीर

शरद पूर्णिमा हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा और कोजागर पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं। शरद पूर्णिमा की रात भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के संग महारास रचाया था, इसलिए इसे रास पूर्णिमा कहते हैं।
वहीं शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं, जिसे कोजागर पूर्णिमा के नाम से जानते हैं। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र देव की पूजा का विधान है। शरद पूर्णिमा की रात में खुले आसमान के नीचे खीर रखते हैं।

हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 16 अक्टूबर को रात 8 बजकर 45 मिनट पर शुरू होगी और 17 अक्टूबर शाम 4 बजकर 50 मिनट पर खत्म होगी। शरद पूर्णिमा का व्रत जो लोग रखते हैं वह 16 अक्‍टूबर को रखा जाएगा और रात को खीर भी 16 को ही रखी जाएगी।

शरद पूर्णिमा खीर रखने का समय
16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का चंद्रोदय शाम में 5 बजकर 5 मिनट पर होगा। शरद पूर्णिमा की रात खुले आसमान के नीचे चंद्रमा की किरणों में खीर रखते हैं। इस साल शरद पूर्णिमा पर खीर रखने का समय रात में 08 बजकर 45 मिनट से है। इस समय से शरद पूर्णिमा का चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होकर अपनी किरणों को पूरे संसार में फैलाएगा और उस खीर को अमृत बनाएगा। चंद्रमा की किरणों में रखी गई खीर का सेवन करने से कई रोग दूर हो जाते हैं और साथ ही माता लक्ष्‍मी की कृपा भी प्राप्‍त होती है।

शरद पूर्णिमा की रात में खीर क्यों राखी जाती है?
शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है, और उसकी चांदनी को अमृतमयी माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस रात चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण होते हैं, जो सेहत के लिए लाभकारी होते हैं। इसलिए इस रात खीर को खुले आसमान के नीचे रखकर चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है, ताकि खीर में अमृत तत्व आ सके। अगले दिन इस खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है, जिससे स्वास्थ्य लाभ और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।

 

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