Jaipur News: केन्द्रीय वित्त मंत्री (Union Finance Minister) द्वारा यूनियन बजट (Budget) पेश करने का काउंटडाउन शुरू हो गया है. इस बजट से आम आदमी की तरह नौकरी पेशा लोगों को भी अच्छी खासी उम्मीदें हैं.
केन्द्रीय वित्त मंत्री (Union Finance Minister) द्वारा यूनियन बजट (Budget) पेश करने का काउंटडाउन शुरू हो गया है. इस बजट से आम आदमी की तरह नौकरी पेशा लोगों को भी अच्छी खासी उम्मीदें हैं. केन्द्र सरकार द्वारा यूनियन बजट पेश करने की तैयारी की जा रही है कोरोना वायरस संक्रमण काल में इस बजट से उम्मीदें कुछ ज्यादा की लगाई जा रही हैं. सबसे ज्यादा उम्मीदें सबसे बड़े आयकर वर्ग की हैं , जी हां हम बात कर रहे हैं उस वर्ग की जो नौकरी पेशे में हैं और राष्ट्र निर्माण के लिए हर साल इनकम-टैक्स भर रहा है.
नौकरी पेशा वर्ग का मानना है कि बजट में आयकर स्लैब्स में व्यापक बदलाव की जरूरत है. सबसे पहले आयकर स्लैब्स में पांच लाख तक की आय को टेक्स फ्री किया जाना जरूरी है. पांच लाख तक की आय को टैक्स फ्री करने के साथ साथ सर्विस मैन को 80सी के तहत छूट का प्रावधान बरकरार रखना जरूरी है. मध्यम वर्गीय कर्मचारी और हायर सेलेरी स्केल्स वर्ग ने आयकर स्लैब्स में भी संशोधन बेहद जरूरी बताया है. Current Income Tax Slabs 2.50 लाख रुपए तक 00%2.50 लाख से 5.00 लाख रुपए तक 05%5.00 लाख से 7.50 लाख तक 10%7.50 लाख से 10.00 लाख तक 15%10.00 लाख से 12.50 लाख रु. तक 20%12.50 लाख से 15 लाख रु. तक 25%15.00 लाख रुपए से अधिक पर 30% है.
ये भी मांग
राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी जयवीर सिंह जाकेर व पीएचईडी भवानी सिंह शेखावत का कहना है कि नौकरी पेशा लोगों का कहना है कि केन्द्र सरकार द्वारा इस बजट में टैक्स स्लैब्स को संशोधित कर मैच-मिसमैच को दूर करे. क्योंकि फिलहाल कर्मचारी वर्ग से ज्यादा छूट कॉर्पोरेट सेक्टर को दे रखी है. सरकारी सेवाओं में कार्यरत अधिकारी-कर्मचारियों के साथ साथ जिस कॉर्पोरेट वर्ग में करदाता कार्य कर रहे हैं उन्हें कॉर्पोरेट हाऊस की तुलना में ज्यादा टेक्स अदा करना पड़ रहा है. कॉर्पोरेट हाऊसेंस पर टेक्स की दरें 20 फीसदी हैं. जबकि उसमें कार्यरत कर्मचारी वर्ग का वेतन यदि पंद्रह लाख रुपए या उससे ज्यादा है तो उसे तीस फीसदी आयकर भरना पड़ रहा है. यहीं नहीं केन्द्र सरकार को करदाताओं की संख्या बढाने के बजाय टेक्स छीजत पर अंकुश लगाने के प्रयास करने चाहिए. टेक्स चोरी रोकने के प्रावधानों और आधूनिक संसाधनों का विस्तार बेहद जरूरी है.