दिल्ली

पेट्रोल-डीजल को GST के दायरें में लाना मुश्किल, लगेगा 8 से 10 साल का समय, जानें क्यों?

राज्यसभा में बुधवार को भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अगले आठ से 10 साल तक पेट्रोल व डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के दायरे में लाना संभव नहीं है क्योंकि इससे राज्यों को दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा. सुशील कुमार मोदी ने उच्च सदन में वित्त विधेयक, 2021 पर चर्चा में भाग लेते हुए ने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों पर केंद्र और राज्यों को सामूहिक रूप से पांच लाख करोड़ रुपये मिलते हैं.

उनका यह बयान काफी अहम है क्योंकि कुछ राज्यों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गयी थी. पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों पर काबू के लिए उन्हें जीएसटी के दायरे में लाने की मांग होती रही है.

राज्यों को होगा 2 लाख करोड़ का नुकसान
भाजपा नेता ने पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाए जाने की मांग को अव्यवहारिक बताते हुए कहा कि इससे राज्यों को करीब दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा और उसकी भरपाई कैसे होगी. उन्होंने कहा कि अगले आठ से 10 साल तक पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना संभव नहीं है क्योंकि इससे राज्यों को हर साल दो लाख करोड़ रुपए का नुकसान होगा.

राज्य और केंद्र को कितने रुपये मिलते हैं?
उन्होंने कहा कि अभी जीएसटी में कर की अधिकतम दर 28 प्रतिशत है. अभी की स्थिति में 100 रुपये में 60 रुपये कर के होते हैं. इस 60 रुपये में केंद्र को 35 व राज्यों को 25 रुपये मिलते हैं. इसके अलावा केंद्र के 35 रुपये का 42 प्रतिशत भी राज्य को ही मिलता है.

भाजपा सदस्य ने कहा कि जीएसटी को ‘‘गब्बर सिंह टैक्स’’ बताया गया और नई व्यवस्था की आलोचना की गई, लेकिन जीएसटी की बैठकों में कभी भी कांग्रेस शासित राज्यों ने विरोध नहीं किया. उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद में किसी राज्य में जीएसटी के कर ढांचे का विरोध किया. इसकी पुष्टि जीएसटी परिषद की कार्यवाही से की जा सकती है. उन्होंने कहा कि इसे लागू करना हिम्मत का काम था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने इसे लागू किया.

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