अपराध और अपराधियों की गहन पड़ताल के लिए किया जाने वाला नार्को टेस्ट अब दिल्ली में भी हो सकेगा. राजधानी में आज से नार्को टेस्ट (NARCO Test in Delhi) की शुरुआत हो गई है. आउटर नॉर्थ जिले के एक कत्ल के मामले में आज आरोपी का नार्को टेस्ट किया गया. दिल्ली का यह पहला नार्को टेस्ट अम्बेडकर अस्पताल में किया गया. इस टेस्ट की सफलता के बाद अब ऐसी किसी जांच के लिए पुलिस या दूसरी सुरक्षा एजेंसियों को अहमदाबाद जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
राजधानी के अस्पताल में ही नार्को टेस्ट की शुरुआत से अब दिल्ली में बड़े आपराधिक और अनसुलझे आपराधिक मामलों को सुलझाने में पुलिस या अन्य सुरक्षा एजेंसियों को आसानी होगी. दिल्ली फोरेंसिक साइंस लेब्रोटरी और अम्बेडकर अस्पताल के जॉइंट ऑपरेशन के साथ यह पहल शुरू की गई है. आज जिस कत्ल के मामले में आरोपी का नार्को टेस्ट किया गया, उसमें FSL रोहिणी के दो अधिकारी और दो फिजीशियन तथा अम्बेडकर अस्पताल के 4 एक्सपर्ट डॉक्टर शामिल थे. इस टीम ने करीब 1 घंटे में यह नार्को टेस्ट पूरा किया.
FSL की डायरेक्टर दीपा वर्मा और FSL PRO संजीव गुप्ता की अगुवाई में दिल्ली में यह पहला नार्को टेस्ट सफल हुआ है. नार्को टेस्ट के लिए पहले बकायदा एनेस्थीसिया का इंजेक्शन आरोपी को लगाया गया और फिर सवालों की एक फेहरिस्त तैयार कर पूछताछ की गई. इस टेस्ट की सफलता के बाद अब दिल्ली कैंट रेप मामले के आरोपियों का भी नार्को टेस्ट दिल्ली में ही हो सकता है, क्योंकि फिलहाल इस मामले के सभी आरोपी क्राइम ब्रांच की कस्टडी में है.
क्या होता है नार्को टेस्ट
यह किसी शख्स को सम्मोहित करने या उसे कृत्रिम बेहोशी की अवस्था में ले जाकर जांच से जुड़ा मामला है. इसके तहत डॉक्टर संबंधित व्यक्ति को सोडिम पेंटोथॉल का इंजेक्शन देकर उसे कुछ देर के लिए गहरी नींद या बेहोशी की अवस्था में ले जाते हैं और उसके बाद पूछताछ की जाती है. इस दवा को ‘ट्रूथ सीरम’ भी कहा जाता है. माना जाता है कि नार्को टेस्ट के दौरान पूछताछ से वह व्यक्ति किसी घटना के बारे में सच्ची जानकारी बयां कर देता है, जिससे जांच एजेंसियों को अपराध की छानबीन करने में आसानी होती है. यह झूठ पकड़ने के लिए किए जाने वाले पॉलिग्राफ टेस्ट से अलग है, जिसमें व्यक्ति के हाव-भाव से घटना की सच्चाई पता की जाती है.