दिल्ली

किसान आंदोलन से नुकसान की भरपाई को BJP का डैमेज कंट्रोल, जाट बहुल 40 सीटों पर लगाएगी जोर

भाजपा किसान आंदोलन से हुए नुकसान का डैमेज कंट्रोल करने में जुट गई है. खासकर जाट इलाकों में, जहां पर पार्टी को किसान आंदोलन का ज्यादा नुकसान होता दिख रहा है. इसीलिए पार्टी ने जाट बहुल 40 लोकसभा क्षेत्रों में फोकस होकर काम करने का निर्णय लिया है.

कृषि कानून और किसान आंदोलन से बीजेपी को हुए नुकसान की भरपाई के लिए पार्टी ने कमर कस ली है. बीजेपी ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के जाट बहुल 40 लोकसभा क्षेत्र के लिए डैमेज कंट्रोल प्लान बनाया है. 16 फरवरी को पार्टी मुख्यालय में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व में बड़ी बैठक हुईं. इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, संजीव बाल्यान समेत यूपी, हरियाणा और राजस्थान के 10 बीजेपी सांसद, 14 विधायक और 40 से ज्यादा बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने बैठक में हिस्सा लिया.

सूत्रों की माने तो इस बैठक में सबसे किसान आंदोलन से जाट बहुत इलाकों में उपजे हालात पर चर्चा की गई. पार्टी को लगता है कि इस आंदोलन से जाट इलाकों में थोड़ा नुकसान पहुचा है. पिछले दिनों में इन जाट बहुल इलाकों में बीजेपी की लोकप्रियता बढ़ी थी, लेकिन किसान आंदोलन से पार्टी को झटका लगा है. सूत्रों के मूताबिक, अमित शाह ने बैठक में कहा कि ये आंदोलन राजनीतिक है और कम्युनिस्ट प्रेरित है. जो हमारी विचारधारा को समाप्त करना चाहते हैं. इस आंदोलन का किसानों से कोई मतलब नहीं है. अमित शाह ने कहा कि इस सच्चाई को जाट समाज को बतानी होगी. ऐसे में पार्टी ने इन इलाकों के 40 लोकसभा क्षेत्र का चुनाव किया है जहां पार्टी आने वाले वक्त में बड़ा फोकस करने वाली है.

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गृह मंत्री अमित शाह ने दिए निर्देश

सूत्रों के मूताबिक गृहमंत्री अमित शाह ने बैठक में शामिल नेताओं को कहा है कि इन 40 लोकसभा क्षेत्रों में पार्टी डोर टू डोर कैंपेन, संपर्क और सभाएं कर कृषि कानून को लेकर पैदा हो रहे भ्रम को खत्म करे. पार्टी नेताओं को बताया गया कि लोगों तक कृषि कानून के फायदे को पहुंचा जाए. तय हुआ है कि अगले 15-20 दिन सभी को खापों, किसानों और समाज के बीच में रहना है. हमको आंदोलनकारियों का जन समर्थन ख़त्म करना है. सूत्रों की माने तो बैठक में ये भी तय किया गया कि है उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा के खाप पंचायत से भी पार्टी संपर्क साधे और कृषि कानून के फायदे को गिनवाएं. इसके अलावा इस बैठक में ये भी तय हुआ है कि किसानों और लोगों के मन को भी इस कानून को लेकर टटोले जाएं. लोगों से कानून को लेकर फीडबैक लिया जाए, सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक 11 दौर की बातचीत हो चुकी है जो बेनतीजा रही है. सरकार और किसान संगठनों के बीच पिछली बातचीत 22 जनवरी को हुई थी

किसान कानून को लेकर बीजेपी ने तैयार कराई बुकलेट

सूत्रों की माने तो किसान बिल की बारीकियों को समझाते हुए बीजेपी एक बुकलेट तैयार करा रही है. इस बुकलेट में किसान कानून को सरल शब्दों में उल्लेखित किया जाएगा. इस बुकलेट को लेकर बीजेपी के नेताओं को जाट बाहुल्य इलाके में जाने को कहा गया है. जाट समाज को और अन्य किसानों को कानून के बारे में बताने के लिए भाजपा नेताओं को कहा गया है. इस बुकलेट को अगले 3-4 दिनों में नेताओं के बीच वितरित किया जाएगा.

83 दिन से चल रहा है आंदोलन

तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले कई किसान संगठन पिछले 83 दिनों से ज्यादा से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं. किसान संगठनों की मांग है कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले जबकि सरकार अब तक की बातचीत में इस बात पर जोर देती रही है कि कानूनों में किस जगह खामियां हैं यह बताया जाए ताकि संशोधन हो सके. सरकार ने कानूनों को साल-दो साल तक टालने पर भी राजी हुई थी लेकिन किसान संगठन उन्हें रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं.

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